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सफल ट्रेडिंग के लिए एक सिंपल लेकिन सिस्टमैटिक अप्रोच – एक ट्रेंड-फॉलोइंग ट्रेडर का अनुभव
सफल ट्रेडिंग के लिए एक सिंपल लेकिन सिस्टमैटिक अप्रोच – एक ट्रेंड-फॉलोइंग ट्रेडर का अनुभव
आपको एक फ्रेमवर्क चाहिए, आपको एक डिसिप्लिन चाहिए – क्योंकि ये डिसिप्लिन का बिजनेस है।
मेरी ट्रेडिंग जर्नी उस दिन से बदल गई जब मैंने पहली बार एक सही तरीके से डिज़ाइन की गई ट्रेडिंग सिस्टम को अपनाया। मेरा पहला ट्रेड, जो मैंने इस डिसिप्लिन के साथ किया, वह चार हफ्तों में डबल हो गया। आज मैं 99.99% मामलों में रिस्क कंट्रोल के साथ ट्रेड करता हूं।
कई लोग मार्केट में बिना किसी गाइड के एंटर करते हैं और जब मार्केट साइकल बदलती है, तो उन्हें समझ ही नहीं आता क्या करना है। ऐसे में एक स्ट्रक्चर और सिंपल फ्रेमवर्क होना बेहद ज़रूरी है।
सिस्टम की शुरुआत: एक सिंपल लेकिन एफेक्टिव एंट्री मॉडल
मेरे लिए एक परफेक्ट स्टॉक वह है जो:
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अपट्रेंड में हो (आप 20-स्मूथ मूविंग एवरेज का इस्तेमाल कर सकते हैं)
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एक करेक्शन दे रहा हो
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करेक्शन के बाद फिर से स्ट्रेंथ दिखा रहा हो
मैं किसी भी स्टॉक को तब बाय करता हूं जब वह करेक्शन के बाद फिर से अपने ट्रेंड को रिज़्यूम करता है। ऐसे ट्रेड को मैं "Continuation Trade" मानता हूं।
Trade Entry Criteria:
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Gap-up Opening: स्टॉक की ओपनिंग पिछले दिन की क्लोजिंग से ऊपर होनी चाहिए।
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Previous Day's Low Breach ना हो: पहले तीन मिनट के अंदर स्टॉक का लो पिछले दिन की टेरिटरी में नहीं आना चाहिए।
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Strong Relative Volume: पहले तीन मिनट में वॉल्यूम एवरेज से काफी ऊपर होना चाहिए।
इन तीनों कंडिशन के फुलफिल होने पर मैं ट्रेड में एंटर करता हूं।
कैसे स्कैन करें सही स्टॉक्स?
बहुत लोग स्कैनर्स को बहुत जटिल बना देते हैं, जबकि आप सिंपल लॉजिक से शुरुआत कर सकते हैं:
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3 महीने में जो स्टॉक्स 20-30% ऊपर गए हैं, उन्हें स्कैन कीजिए।
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उन्हें वॉचलिस्ट में डालिए और उनके करेक्शन व स्ट्रेंथ की वेट कीजिए।
मैं खुद एक सिंपल थ्री-मंथ परफॉर्मेंस स्कैनर का उपयोग करता हूं।
पर्पल डॉट्स और फास्ट मूविंग स्टॉक्स:
मैं ऐसे स्टॉक्स पसंद करता हूं जो:
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रोज़ाना 5% मूवमेंट देते हैं
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5 लाख से अधिक वॉल्यूम के साथ ट्रेड होते हैं
ऐसे स्टॉक्स में तेज़ी से प्रॉफिट मिल सकता है और पोजिशन में जल्दी एग्जिट का मौका भी मिलता है।
Position Sizing और Scaling In का तरीका:
मैं एक स्टॉक में शुरुआत में सिर्फ 7% से 10% कैपिटल लगाता हूं। अगर स्टॉक स्ट्रेंथ दिखाता है, तो दो-तीन दिनों में धीरे-धीरे स्केल इन करता हूं, और मेरी अल्टिमेट एलोकेशन 25% तक जाती है।
स्केल इन करने के दो फायदे हैं:
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रिस्क कंट्रोल में रहता है
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अगर दूसरी एंट्री मिलती है, तो वो लगभग “फ्री ट्रेड” बन जाती है, क्योंकि मैं पहली एंट्री का स्टॉप लॉस ऊपर शिफ्ट कर चुका होता हूं।
Selling Strategy: कब और कैसे प्रॉफिट बुक करें?
बिक्री में कोई फिक्स रूल नहीं है, लेकिन कुछ गाइडलाइंस हैं:
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स्विंग ट्रेड्स की लिमिट होती है: एक स्टॉक एवरेज 40% से 60% तक मूव करता है, इसके बाद करेक्शन की संभावना ज़्यादा होती है।
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Price Angle को समझिए: अगर स्टॉक पैराबोलिक मूव दे रहा है (बहुत तेज़), तो ट्रेलिंग स्टॉप की बजाय प्रॉफिट बुक करना बेहतर होता है।
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Trailing with Moving Average: आप 10 या 20 EMA से ट्रेल कर सकते हैं। 10 से ट्रेल करने में जल्दी एग्जिट मिलती है, 20 से आप ज्यादा रूम देते हैं लेकिन रिस्क भी बढ़ता है।
Stop Loss कैसे लगाएं?
अगर आपने स्ट्रॉन्ग स्टार्ट के बेस पर ट्रेड लिया है, तो स्टॉप लॉस या तो:
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उसी दिन के लो के नीचे होना चाहिए
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या पिछले दिन की क्लोजिंग टेरिटरी के नीचे
क्योंकि अगर प्राइस वहां चला गया, तो स्ट्रॉन्ग स्टार्ट का लॉजिक ही खत्म हो जाता है।
नए ट्रेडर्स के लिए सलाह:
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शुरुआत में 2% का स्टॉप न रखें। मैं खुद 8% से शुरू हुआ था, फिर 6%, 4%, और अब 2% पर आया हूं।
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50 ट्रेड्स का डेटा बनाएं, फिर उसका रिव्यू करें – इससे आपको अपने सिस्टम पर भरोसा बनेगा।
निष्कर्ष:
यह सिस्टम किसी मैजिक बटन की तरह काम नहीं करता, लेकिन ये आपको एक स्ट्रक्चर देता है जिसमें आप कॉन्फिडेंस के साथ ट्रेड ले सकते हैं। सही एंट्री, लॉजिक बेस्ड एग्जिट और सिंपल सेटअप ही आपकी सफलता की कुंजी है।
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