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🔍 स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस / 📈 Swing Trading Strategy: Stocks Ready for 10%+ Moves in a Short Period

  🔍 स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस 1️⃣ पिछला रेजिस्टेंस (लेटेस्ट हाई) पहचानें स्टॉक का डेली चार्ट खोलें उस हालिया हाई (Previous High) को पहचानें जहाँ से पहले कीमत नीचे आई थी यही लेवल मजबूत रेजिस्टेंस का काम करता है अगर आपको पिछला हाई पहचानना नहीं आता, तो कमेंट करें — मैं पूरा लॉजिक समझा दूँगा 2️⃣ कन्फर्म ब्रेकआउट का इंतजार करें स्टॉक की क्लोजिंग कीमत पिछले रेजिस्टेंस के ऊपर होनी चाहिए सिर्फ इंट्राडे ब्रेक होना काफी नहीं है डेली क्लोजिंग का रेजिस्टेंस के ऊपर होना जरूरी है 3️⃣ ब्रेकआउट नहीं हुआ? तो इंतजार करें अगर कीमत रेजिस्टेंस के ऊपर क्लोज नहीं देती , तो ट्रेड न लें जल्दबाजी से बचें — धैर्य ही सफल स्विंग ट्रेडिंग की कुंजी है अगले दिन देखें कि ब्रेकआउट कन्फर्म होता है या नहीं 👉 साथ ही उस रेजिस्टेंस लेवल पर Price Alert जरूर लगाएँ , ताकि जैसे ही कीमत उसे क्रॉस करे, आपको नोटिफिकेशन मिल जाए नोटिफिकेशन मिलने के बाद आप मार्केट बंद होने से पहले (लगभग 3 PM के आसपास) सुरक्षित एंट्री प्लान कर सकते हैं 4️⃣ एंट्री कब करें? जब स्टॉ...

ऑप्शन चेन को डिकोड कैसे करें?

 ऑप्शन चेन को डिकोड कैसे करें?

आज का हमारा ब्लॉग टॉपिक है – ऑप्शन चेन को डिकोड करना। मैंने कई लोगों को देखा है जिन्हें यह तो समझ आ जाता है कि क्या होता है At the Money, In the Money और Out of the Money कॉन्ट्रैक्ट्स, लेकिन असली कन्फ्यूजन वहां होती है जब यह जानना होता है कि:

  • बायिंग हो रही है या सेलिंग?

  • और अगर हो रही है तो उसका मार्केट पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

चलिए इसे एकदम आसान भाषा में समझते हैं।

जब आप कोई ऑप्शन बाय करते हैं, तो उसका प्राइस बढ़ता है। जब आप ऑप्शन सेल करते हैं, तो उसका प्राइस घटता है। लेकिन ध्यान रहे, यह सब कुछ तब असर करता है जब बड़ी क्वांटिटी में ट्रेड हो रहा हो।

कॉल और पुट ऑप्शन्स की भाषा समझें

  • कॉल बाय: अगर कॉल ऑप्शन में बायिंग हो रही है और प्रीमियम बढ़ रहा है, तो इसका मतलब है मार्केट को बुलिश (ऊपर जाने की) उम्मीद है।

  • कॉल सेल (या राइटिंग): ओपन इंटरेस्ट बढ़ रहा है, लेकिन प्रीमियम घट रहा है, इसका मतलब है कॉल राइटिंग – यानी मार्केट या तो गिर सकता है या साइडवेज रहेगा, लेकिन ऊपर नहीं जाएगा।

  • पुट बाय: पुट ऑप्शन खरीदना यानी यह उम्मीद कि मार्केट गिरेगा। जब पुट प्रीमियम और ओपन इंटरेस्ट दोनों बढ़ें, तो इसका मतलब है कि ट्रेडर मार्केट के गिरने की उम्मीद कर रहे हैं।

  • पुट सेल (या पुट राइटिंग): जब ओपन इंटरेस्ट बढ़ रहा हो और प्रीमियम घट रहा हो, तो ट्रेडर मानते हैं कि मार्केट ऊपर जाएगा या साइडवेज रहेगा।







डिकोड करने का बेसिक फॉर्मूला

यहां एक सरल चार्ट है जिससे आप समझ सकते हैं कि मार्केट में क्या हो रहा है:

OI Change Premium Change Interpretation Expectation
Increase Increase Long Build-up Bullish (Call), Bearish (Put)
Increase Decrease Short Build-up Bearish (Call), Bullish (Put)
Decrease Increase Short Covering Reversal possibilities
Decrease Decrease Long Unwinding Exit of prior trades

यह नियम कॉल और पुट दोनों पर लागू होते हैं। बस यह ध्यान रखें कि प्रीमियम की दिशा और ओपन इंटरेस्ट की दिशा, दोनों को एक साथ देखना जरूरी है।



For PUT Side






प्रैक्टिकल उदाहरण

अगर ऑप्शन चेन में कॉल साइड पर ओपन इंटरेस्ट बढ़ रहा है और प्रीमियम घट रहा है, तो इसका अर्थ है कि ट्रेडर कॉल ऑप्शन को बेच रहे हैं। यह सिग्नल देता है कि वे या तो गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं या फिर मार्केट के साइडवेज रहने की।



दूसरी ओर, अगर पुट साइड पर ओपन इंटरेस्ट और प्रीमियम दोनों बढ़ रहे हैं, तो यह दर्शाता है कि पुट खरीदे जा रहे हैं – यानी ट्रेडर मार्केट के गिरने की संभावना मान रहे हैं।

निष्कर्ष

ऑप्शन चेन को डिकोड करना शुरू में थोड़ा कठिन लग सकता है, लेकिन एक बार जब आप पैटर्न समझ जाते हैं, तो यह बहुत आसान हो जाता है। यह सबसे बेसिक लेकिन सबसे अहम चीज है जिसे हर ऑप्शन ट्रेडर को समझना चाहिए।

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